एंटीबॉडीज़ और इम्यूनिटी पावर
नई दिल्ली: दुनियाभर में कोरोना संक्रमण से ठीक होने वाले मरीजों को प्लाज़्मा डोनेट करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। की ताकि वे आगे आएं और ज़्यादा से ज़्यादा मरीजों की जान बचाई जा सके। अमेरिका में जहाँ कोरोना संक्रमण में मामले तेजी से बढ़ रहे थे ऐसे शक्तिशाली देश ने हालात पर काबू पाने के लिए प्लाज़्मा थेरेपी को हरी झंडी दे।
आईये जानते है एंटीबॉडीज़ और प्लाज़्मा थेरेपी का आपस में सम्बन्ध क्या है
एंटीबॉडीज़ उस व्यक्ति के शरीर को कहा जाता है जिसे कोरोना हुआ हो और वह ठीक हो चूका हो या जिसके शरीर में रोगों से लड़ने की शक्ति इतनी ज़्यादा हो की उसका शरीर अपने आप कोरोना संक्रमण से लड़े और बीमारी पर जीत हासिल कर ले। उसे कहते है ‘एंटीबॉडीज़’ लेकिन यह तभी मुमकिन है जब शरीर में इम्यूनिटी स्ट्रांग हो वही शरीर उस संकरण पर जीत हासिल कर सकता है और वही व्यक्ति प्लाज़्मा डोनेट कर सकता है और दुसरे दुसरे संक्रमित व्यक्ति जिसकी इम्यूनिटी कम है उसे डोनेट कर उसका जीवन बचा सकता है।
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एंटीबॉडीज़ से कितने महीने तक मिल सकती है इम्यूनिटी
ब्रिटेन की एक यूनिवर्सिटी ने अध्ययन किया है जिसके नतीजे बताते हैं कि कोरोना वायरस से संक्रमित बनने वाली एंटीबॉडीज़ लोगों को कम से कम चार महीनों तक इम्यूनिटी दे सकती है। लेकिन WHO ने अभी तक इस पर आधिकारिक तोर पर कोई पुष्टि नहीं की है।
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