नई दिल्ली: बुधवार को कृषि मंत्रालय ने बताया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 21 मई को कुछ शर्तों व नियमों के साथ टिड्डों को खत्म करने के लिए ड्रोन (रिमोटली पाइलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम) को मंज़ूरी दे दी है और कहा टेंडर के जरिए दो कंपनियों को काम दिया गया है। ड्रोन्स सिस्टम से बड़े बड़े पेड़ों और दुर्गम इलाकों में एरियल स्प्रेइंग की जाएगी।
इस पर तेजी से काम करने के लिए सरकार ने 60 अतिरिक्त स्प्रेयर United Kingdom से मंगाने का फैसला किया है और 55 नई गाड़ियां भी कीटनाशकों के छिड़काव के लिए खरीदी जाएंगी।
फिलहाल के लिए फायर ब्रिगेड को उसका काम सौंपा गया है। जिसमें 47 कंट्रोल करने वाली, 89 फायर ब्रिगेड, 120 सर्वे करने वाली गाड़ियों, और 810 ट्रैक्टरों का इस्तेमाल किया जाएगाl
अभी के लिए लोकस्ट कंट्रोल ओफ्फिसिए के पास 21 माइक्रोनायर और 26 Ulvamast स्प्रे इक्विपमेंट्स हमारे पास हैं जिनका इस्तेमाल किया जा रहा हैl
कृषि मंत्रालय के द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक वर्तमान में गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान के जयपुर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर, गंगानगर और मध्यप्रदेश के ग्वालियर और सतना, जिलों में गुलाबी टिड्डों के झुंड सक्रिय हैं लगभग 47,308 हेक्टेयर क्षेत्र में हॉपर और गुलाबी झुंडों को नियंत्रित किया जा रहा हैl
टिड्डियों का हमला किसी भी देश की खाद्यान व आर्थिक स्तिथि बिगाड़ने के लिए काफी है। इनसे निपटने के लिए कीट नाशक का छिड़काव पर्यायवरण एवम मनुष्य व पशुओं के स्वास्थ्य के लिए ठीक नही है। इसके लिए कोई कारगर पद्दति अपनाने के लिए योजना बनाना आवश्यक है।
कीट पतंग विशेषज्ञों को इन पर अध्धयन कर इससे निपटने के सुरक्षित व बेहतर तरीके ढूंढने चाहिए ताकि इनके प्रज्जन पर अंकुश लगाया जा सके। चाइना जैसा देश तो इन्हें अपने भोजन में भी इन्हें शामिल करने से गुरेज नही करते।
कुल मिला इनसे निपटने की योजना पर गम्भीरता से विचार कर योजना बनाना जरूरी है।
विनोद शर्मा